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नोटबंदी के बाद कालाधन जमा करने वालों पर मोदी सरकार की पैनी नजर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार कालाधन, बेनामी संपत्ति रखने वालों और इनकम टैक्स चोरी करने वालों पर अपना शिकंजा कसती जा रही है। नोटबंदी के बाद से बैंक खातों में कालाधन के रूप में मोटी रकम जमा करने वालों पर आयकर विभाग की पैनी नजर है। आयकर विभाग ने अब उन 2 लाख लोगों को नोटिस भेजा है, जिन लोगों ने नोटबंदी के बाद 20 लाख से ज्यादा के 1000 और 500 रुपये के पुराने नोट बैंकों में जमा कराए थे। ये वो लोग हैं जिन्होंने न तो आयकर विभाग के सवालों का जवाब दिया है, और न ही इनकम टैक्स रिटर्न भरा है। आयकर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ऐसे लोगों को जवाब देने का पर्याप्त मौका दिया जा चुका है, अब इन्हें नोटिस जारी किया गया है।

5 लाख से ज्यादा जमा करने वाले 18 लाख संदिग्ध लोगों की पहचान

नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा रकम की गहन छानबीन के बाद मोदी सरकार ने 5 लाख रुपये या इससे ज्यादा की रकम जमा कराने वाले 18 लाख संदिग्ध लोगों की पहचान की है, इनमें से 12 लाख लोगों की पुष्टि इनकम टैक्स के पोर्टल से हो गई है, बाकी लोग आयकर विभाग के रडार पर हैं। नोटबंदी के बाद 2.9 लाख करोड़ रुपये संदिग्ध रूप से जमा करवाए गए हैं, यह नोटबंदी के बाद जमा कुल रकम के पांचवें हिस्से से भी कम है। जाहिर है कि केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी है, नोटबंदी के बाद असंख्य आंकड़े उपलब्ध हुए हैं, और उनका आकलन किया जा रहा है, धीरे-धीरे ऐसे लोगों पर शिकंजा कसा जा रहा है, जो कालाधन ठिकाने लगाने के बाद खुशी से बैठे हैं।

टैक्स चोरों पर कसा आयकर विभाग का शिकंजा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कालाधन और बेनामी संपत्ति के खिलाफ जो अभियान छेड़ा है, उसके परिणाम भी अब सामने आने लगे हैं। आयकर विभाग टैक्स नहीं देने वालों और कर चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त रवैया अपना रही है। यही वजह है कि आयकर विभाग द्वारा एक साल के भीतर ऐसे लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है। वहीं आयकर विभाग बड़ी संख्या में बकायेदारों को कोर्ट से सजा दिलाने में भी कामयाब हुआ है, साथ ही जुर्माना वसूलने के बाद मामलों के निपटारे में भी वृद्धि हुई है। आयकर विभाग की तरफ से उन लोगों पर कार्रवाई की जा रही है, जो जान बूझकर कर चोरी करने, किसी प्रकार के कर का भुगतान नहीं करने, जान बूझकर आयकर रिटर्न दाखिल नहीं करने, सत्‍यापन में फर्जी जानकारी और स्रोत पर काटे गए कर को जमा नहीं करना में शामिल हैं। नीचे दिए गए आंकड़ों से समझा जा सकता है कि मोदी सरकार कालेधन और टैक्स चोरों के खिलाफ किस कड़ाई से पेश आ रही है।

            टैक्स चोरों पर दर्ज मामलों की संख्या बढ़ी
वर्ष दर्ज केस वृद्धि
2016-17 784 184%
2017-18(नवंबर-17 तक) 2225

 

  आयकर विभाग द्वारा शिकायतों के निपटारे में बढ़ोतरी
वर्ष निपटाए गए मामले वृद्धि
2016-17 575 83%
2017-18(नवंबर-17 तक) 1052

 

          बकायेदारों को कोर्ट से सजा दिलाने में बढ़ोतरी
वर्ष बकायेदारों को सजा वृद्धि
2016-17 13 269%
2017-18(नवंबर-17 तक) 48

 

आंकड़ों से साफ है कि टैक्स चोरों पर मोदी सरकार का डंडा चल रहा है। कुछ केस में आयकर विभाग द्वारा की कई कार्रवाई से स्पष्ट होगा कि किस तरह टैक्स में हेराफेरी करने वालों पर कार्रवाई की जा रही है।

*देहरादून की कोर्ट ने एक बकायेदार को विदेशी बैंक के खाते की घोषणा नहीं करने पर दोषी पाया और दो वर्षों की सजा सुनाई, उस पर जानबूझ कर टैक्स नहीं देने पर जुर्माना भी किया गया।

*जालंधर की सीजेएम कोर्ट ने कपड़ा व्यवसाई को आयकर विभाग में झूठा हलफनामा देने पर दो वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।

*बंगलुरू में एक इंप्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के एमडी को 60 लाख से ज्यादा टीडीएस जमा नहीं करने का दोषी पाया गया। उसे जुर्माने के साथ तीन वर्ष की सजा सुनाई गई।

*इसी प्रकार हैदराबाद में भी एक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के निदेशक को जानबूझ कर टैक्स नहीं चुकाने पर, जुर्माने के साथ 6 महीने की सजा सुनाई गई।

*आगरा में एक बकायेदार को आयकर जमा नहीं करने और फर्जी वेरिफिकेशन जमा करने पर डेढ़ साल की सजा सुनाई गई।

3,500 करोड़ की बेनामी संपत्तियां जब्त 
सिर्फ आयकर चोरी करने वालों पर ही नहीं, बेनामी संपत्ति और कालाधन रखने वालों पर भी मोदी सरकार का चाबुक जोरों से चल रहा है। आयकर विभाग ने पिछले एक वर्ष में कार्रवाई करते हुए देशभर में 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य की 900 से अधिक बेनामी संपत्तियां जब्त की हैं। इसमें फ्लैट, दुकानें, आभूषण और वाहन आदि शामिल हैं। आयकर विभाग के मुताबिक बेनामी संपात्ति लेन-देन रोकथाम कानून के तहत कार्रवाई तेज कर दी गई है। मोदी सरकार ने 1 नवंबर, 2016 को इस कानून को लागू किया था। इस कानून के तहत, चल-अचल किसी किस्म की बेनामी संपत्तियों को फौरी तौर पर कुर्क करने और फिर उनको पक्के तौर पर जब्त करने की कार्रवाई का प्रावधान शामिल है। आयकर विभाग ने मई 2017 में देशभर में अपने अन्वेषण निदेशालय के तहत 24 खास बेनामी रोकथाम इकाइयां गठित की हैं, ताकि इस कानून का अनुपालन आसान किया जा सके।

एक नजर डालते हैं प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने देश में कालाधन, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं।

जीएसटी से भ्रष्टाचार पर वार
देशभर में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) एक जुलाई से लागू हो चुका है। कर प्रणाली में बदलाव होने से एक तरफ मल्टीपल टैक्स के जंजाल से देशवासी मुक्त हुए। कर की गणना आसान हुआ। कर प्रणाली को पूरी तरह पारदर्शी बनाया जा रहा है। जीएसटी के लागू होने से कच्चे बिल से खरीदारी करने में काफी कमी आई है। आने वाले दिनों में यह इतिहास हो जाएगा क्योंकि जीएसटी के लागू होने से उत्पादन से लेकर उपभोक्ता तक सामान पहुंचने में जितने मिडलमैन हैं। सबको जीएसटीएन में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो गया है। ऐसे में हर स्तर से पक्का बिल बनता है। पक्के बिल से खरीद-बिक्री होने से असली एकाउंट्स में ट्रांजेक्शन दिखता है। व्यापारी के एक्चुअल आमदनी और ग्राहकों द्वारा भुगतान किया हुआ टैक्स सब सरकार की जानकारी में रहता है। लेन-देन में हेरा-फेरी संभावना खत्म हुई।

दो लाख से अधिक फर्जी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द
नोटबंदी के बाद सरकार ने काला धन जमा करने के लिए बनाई गई तीन लाख से भी अधिक फर्जी कंपनियों का पता लगाया। इनमें से ज्यादातर कंपनियां, नेताओं और व्यापारियों के कालेधन को सफेद करने का काम करने में लगी थीं। सरकार की कार्रवाई में ऐसी दो लाख से ज्यादा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा चुका है। नोटबंदी के दौरान इन फर्जी कंपनियों में जमा 65 अरब रुपये की पड़ताल की जा रही है। कार्रवाई के दौरान ऐसी कंपनियों का भी पता लगा, जहां एक एड्रेस पर ही 400 फर्जी कंपनियां चलाई जा रहीं थी।

डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को बढ़ावा
सरकार ने देश में डिजिटलीकरण और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया है। सरकार ने डिजिटल क्रांति और डिजिटल भुगतान के लिए स्वाइप मशीन, पीओसी मशीन, पेटीएम और भीम ऐप जैसे सरल उपायों को अपनाया है। जनता भी सहजता के साथ इसे अपना रही है। इससे देश में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन बढ़ा है। डिजिटल लेनदेन में वृद्धि के फलस्वरूप इससे शासन-प्रशासन, नौकरशाही में पारदर्शिता आई है और नागरिकों में भी जागरुकता बढ़ी है। 

पीएमजीकेवाई के अंतर्गत कालेधन की घोषणा
नोटबंदी के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काले धन रखने वालों को एक आखिरी मौका देते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) दिसंबर 2016 में लॉन्च की गई थी। इसमें कालाधन रखने वालों को टैक्स और 50 प्रतिशत जुर्माना देकर पाक-साफ होने का मौका दिया गया। साथ ही कुल अघोषित आय का 25 प्रतिशत ऐसे खाते में चार साल तक रखना होता है, जिसमें कोई ब्याज नहीं मिलता। नोटबंदी के बाद अघोषित आय के खुलासे में तेजी आई है। अभी तक 21,000 लोगों ने 4,900 करोड़ रुपये के कालेधन की घोषणा की है।

नोटबंदी से पहले आईडीएस स्कीम  
कालेधन पर नियंत्रण करने के लिए मोदी सरकार ने नोटबंदी से पहले ही सभी कारोबारियों और उद्योगपतियों को अपना काला धन घोषित करने का ऑफर आईडीएस स्कीम के तहत दिया था। इस योजना के तहत लोग अपना सारा काला धन सार्वजनिक करके 25 प्रतिशत टैक्स और जुर्माने का भुगतान करके कार्रवाई से बच सकते थे। इसके तहत 65,000 करोड़ रुपये का कालाधन उजागर हुआ था।

केंद्र सरकार की ओर से भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए एक के बाद एक कई निर्णय लिए गये हैं। 

जन धन योजना- इसके तहत गरीबों के लिए अब तक लगभग 30 करोड़ खाते खोले जा चुके हैं। सरकारी योजनाओं में सब्सिडी बिचौलियों के हाथों से दिये जाने के बजाय सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचने लगी है।

कर बचाने में मददगार देशों के साथ कर संधियों में संशोधन मॉरीशस, स्विटजरलैंड, सऊदी अरब, कुवैत आदि देशों के साथ कर संबंधी समझौता करके सूचनाओं को प्राप्त करने का रास्ता सुगम कर लिया गया है।

नोटबंदी- कालेधन पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के बाद सबसे बड़ा कदम 08 नवंबर 2016 को उठाया। नोटबंदी के जरिए कालेधन के स्रोतों का पता लगा। लगभग तीन लाख ऐसी शेल कंपनियों का पता चला जो कालेधन में कारोबार करती थी। इनमें से लगभग दो लाख कंपनियों और उनके 1 लाख से अधिक निदेशकों की पहचान करके कार्रवाई की जा रही है।

• बेनामी लेनदेन रोकथाम (संशोधन) कानून- नोटबंदी के बाद सरकार के पास बेनामी संपत्तियों के बारे में पुख्ता जानकारी उपलब्ध हो चुकी है। बेनामी लेनदेन रोकथाम (संशोधन) कानून, जिसे सालों से कांग्रेस ने लटकाये रखा था, उसे लागू करके इन संपत्तियों के खिलाफ जांच चल रही है।

• फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई- सीबीआई ने छद्म कंपनियों के माध्यम से कालेधन को सफेद करने वाले कई गिरोहों का भंडाफोड़ किया है। देश में करीब तीन लाख ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने अपनी आय-व्यय का कोई ब्योरा नहीं दिया है। इनमें से ज्यादातर कंपनियां नेताओं और व्यापारियों के कालेधन को सफेद करने का काम करती हैं।

• रियल एस्टेट कारोबार में 20,000 रुपये से अधिक कैश में लेनदेन पर जुर्माना- रियल एस्टेट में कालेधन का निवेश सबसे अधिक होता था। पहले की सरकारें इसके बारे में जानती थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करती थीं। इस कानून के लागू होते ही में रियल एस्टेट में लगने वाले कालेधन पर रोक लग गई।

• राजनीतिक चंदा- राजनीतिक दलों को 2,000 रुपये से ज्यादा कैश में चंदा देने पर पाबंदी। इसके लिए इलेक्टोरल बॉन्ड लाने का ऐलान किया गया।

• स्रोत पर कर संग्रह- 2 लाख रुपये से अधिक के कैश लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। इससे ऊपर के लेनदेन चेक, ड्रॉफ्ट या ऑनलाइन ही हो सकते हैं।

• ‘आधार’ को पैन से जोड़ा- कालेधन पर लगाम लगाने के लिए ये एक बहुत ही अचूक कदम है। ये निर्णय छोटे स्तर के भ्रष्टाचारों पर भी नकेल कसने में काफी कारगर साबित हो रहा है।

• सब्सिडी में भ्रष्टाचार पर नकेल- गैस सब्सिडी को सीधे बैंक खाते में देकर, मोदी सरकार ने हजारों करोड़ों रुपये के घोटाले को खत्म कर दिया। इसी तरह राशन कार्ड पर मिलने वाली खाद्य सब्सिडी को भी 30 जून 2017 के बाद से सीधे खाते में देकर हर साल 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की जा रही है। इससे निचले स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार को पूरी तरह से खत्म करने में कामयाबी मिली है।

• ऑनलाइन सरकारी खरीद- मोदी सरकार ने सरकारी विभागों में सामानों की खरीद के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया लागू कर दी गई है। इसकी वजह से पारर्दशिता बढ़ी है और खरीद में होने वाले घोटालों में रोक लगी है।

• प्राकृतिक संसाधानों की ऑनलाइन नीलामी- मोदी सरकार ने सभी प्राकृतिक संसाधनों की नीलामी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसकी वजह से पारदर्शिता बढ़ी है और घोटाले रुके हैं। यूपीए सरकार के दौरान हुए कोयला, स्पेक्ट्रम नीलामी जैसे घोटालों में देश का इतना खजाना लूट लिया गया था कि देश के सात आठ शहरों के लिए बुलेट ट्रेन चलवायी जा सकती थी।

• आधारभूत संरचनाओं के निर्माण की जियोटैगिंग- सड़कों, शौचालयों, भवनों, या ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले सभी निर्माण की जियोटैगिंग कर दी गई है। इसकी वजह से धन के खर्च पर पूरी निगरानी रखी जा रही है। 

इन कदमों के साथ ही सरकार ने दशकों से चली आ रही लालफीताशाही और भ्रष्टाचार में लिप्त कार्यसंस्कृति को बदलने का काम किया। सरकारी योजनाओं में दूरदर्शिता और समयबद्धता के साथ पारदर्शिता भी स्पष्ट दिखने लगी है।

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